26/11 हमले का मास्टमाइंड तहव्वुर राणा भारत लाया जा चुका है. फिलहाल कानून अपना काम कर रहा है, लेकिन मुंबई हमले की उस काली रात की शिकार देविका रोटावन आज भी उस दिन को याद करके सिहर जाती हैं. देविका रोटावन उस समय 9 साल 11 महीने की थी, जो अपने पिता और भाई के साथ पुणे जाने के लिए सीएसटी स्टेशन पर मौजूद थी, जब अजमल कसाब वहां फायरिंग कर रहा था.
तहव्वुर राणा को फांसी मिलनी चाहिए
देविका रोटावन से सवाल किया गया कि तहव्वुर राणा अब कानून के शिकंजे तक पहुंच चुका है, इसे लेकर क्या कहना चाहेंगी. तो देविका ने कहा कि जब गोली लगी उस समय मैं 9 साल की थी और अब मैं 16 साल की हूं. फाइनली में खुश हूं कि वह भारत लाया गया. अब भारत सरकार को काफी जानकारी मिलेगी कि पाकिस्तान में आज भी कितने आतंकी हैं, वो कैसे-क्या प्लान कर रहे हैं. उन्हें ये भी जानकारी मिलेगी कि 26/11 को लेकर वह क्या सोच रहे थे, उन्होंने इतने बड़े हमले को कैसे अंजाम दिया. कितने लोगों ने कैसे उनकी हेल्प की. इसके साथ ही मैं ये भी चाहूंगी कि तहव्वुर राणा को फांसी की सजा होनी चाहिए. क्योंकि उसने आतंकवाद को सपोर्ट किया और 26/11 में उसका हाथ था.
कसाब को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसे लोगों को मारकर उसे खुशी मिल रही हो
देविका ने कोर्ट में जाकर आतंकी अजमल कसाब को पहचाना था. उस भयावह रात के बारे में पूछने पर इस बेटी ने कहा कि मैं, मेरा भाई और पिता उस दिन पुणे जाने वाले थे. हम बांद्रा से सीएसटी गए. इतने में मेरा भाई बोला कि मुझे टॉयलेट आया है तो पापा ने कहा कि जाकर कर आओ. वो जैसे ही गया वैसे ही बम विस्फोट हुआ. गोलीबारी शुरू हो गई.लोग भाग रहे थे, गिर रहे थे, किसी के हाथ में गोली लगी तो किसी के पैरे में तो किसी के सिर में गोली लगी थी. फिर पापा के साथ मैंने भी भागने की कोशिश की, तभी एक गोली मेरे पैर में आकर लग गई. गोली लगने के बाद मैं गिर गई और बेहोश हो गई. लेकिन बेहोश होने से पहले मैंने देखा एक शख्स बड़ी सी गन लेकर अंधाधुंध फायरिंग कर रहा था. ऐसा लग रहा था कि जैसे लोगों को मारकर उसे खुशी मिल रही है. उसके चेहरे पर कोई डर या गिल्ट नहीं था, वो नजारा मैं आज तक भूल नहीं पाई हूं. इसके बाद मुझे अस्पताल लेकर चले गए.
from NDTV India - Pramukh khabrein https://ift.tt/QRSWxzj
No comments:
Post a Comment