BJP और SP के लिए 'नाक का सवाल' क्यों है मिल्कीपुर? जानिए इससे कैसे खुलेगा 2027 का रास्ता - Travel & Tech

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Wednesday, February 5, 2025

BJP और SP के लिए 'नाक का सवाल' क्यों है मिल्कीपुर? जानिए इससे कैसे खुलेगा 2027 का रास्ता

दिल्ली का रास्ता अगर लखनऊ से होकर जाता है, तो लगता है कि लखनऊ का रास्ता मिल्कीपुर से होकर ही जाता होगा. देशभर की निगाहें बुधवार को जहां दिल्ली विधानसभा चुनाव पर लगी थीं. वहीं, यूपी में मिल्कीपुर उपचुनाव की चर्चा हो रही थी. मिल्कीपुर उपचुनाव BJP और सपा के लिए आन-बान और शान की लड़ाई बन गई है. इस सीट को जीतने के लिए BJP ने बूथ मैनेजमेंट पर फोकस किया है. सपा ने यादव और मुस्लिम वोटों पर अपनी ताकत लगा दी है. CM योगी आदित्यनाथ ने इस सीट पर प्रचार की कमान संभाल रखी थी. अखिलेश यादव भी अपनी पार्टी के कैंडिडेट के लिए मोर्चा संभाले हुए थे. आइए समझते हैं कि समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के लिए आखिर मिल्कीपुर इतनी अहम क्यों है? मिल्कीपुर में जीत को कैसे 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के बूस्टर के तौर पर देखा जा रहा है.

लोकसभा चुनाव 2024 में जब समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने फैजाबाद सीट से भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह को हरा दिया, तब से मिल्कीपुर सुर्खियों में आया. ये उलटफेर तब हुआ, जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ था. अयोध्या फैजाबाद लोकसभा सीट में आती है. मिल्कीपुर, अयोध्या का एक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र है. 

अयोध्या की मिल्कीपुर में चुनावी पारा चरम पर, जानें क्या हैं राजनीतिक-सामाजिक समीकरण

अजीत प्रसाद बनाम चंद्रभान प्रसाद की लड़ाई
अवधेश प्रसाद पहले मिल्कीपुर सीट से विधायक थे. फैजाबाद से सांसद चुने जाने के बाद मिल्कीपुर की सीट खाली हो गई, जिसके बाद यहां उपचुनाव हुए. समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है. BJP ने चंद्रभान प्रसाद पर दांव लगाया है.

BJP के लिए ये सीट अहम क्यों?
-पिछले साल 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था. BJP ने इसी उत्साह में लोकसभा चुनाव में 400 पार का नारा दिया था. लेकिन पार्टी को अकेले के दम पर 300 भी पार नहीं हुए थे. यूपी में BJP को सबसे ज्यादा सीटों का नुकसान हुआ था. यहां तक की BJP फैजाबाद की सीट तक नहीं बचा पाई थी. ये सीट सपा के खाते में चली गई थी. 

-सपा इस सीट को PDA मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वोट के दम पर जीत गई. इसलिए मिल्कीपुर सीट योगी आदित्यनाथ और BJP के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है. योगी हर हाल में मिल्कीपुर सीट को जीतकर फैजाबाद की हार का बदला लेना चाहते हैं. मिल्कीपुर की सीट की अहमियत इस बात से समझिए कि समाजवादी पार्टी और BJP दोनों के वार रूम एक्टिव रहे.

-वैसे मिल्कीपुर का रास्ता हमेशा से ही BJP के लिए मुश्किल रहा है. यहां राम मंदिर का मुद्दा नहीं चलता है. इसीलिए BJP हिंदुत्व के साथ-साथ सामाजिक समीकरण के भरोसे रहती है. इस उपचुनाव में BJP ने हर वोटर तक पहुंचने की कोशिश की है. 

BJP ने की कैसी तैयारी?
-नवंबर, 2024 में 9 सीटों पर हुए उपचुनाव में BJP ने 7 सीटें जीती थी. पिछले उपचुनाव में जीत से उत्साहित BJP ने मिल्कीपुर सीट भी सपा से छीनने के लिए पूरी ताकत लगाई है.
-BJP कहती है कि संविधान बचाने के नाम पर INDIA अलायंस ने दलितों को धोखा दिया. मिल्कीपुर का चुनाव तय करेगा कि यूपी के दलित वोटरों के मन में क्या है. 
-BJP ने इस सीट पर अलग-अलग जाति के 40 विधायकों की टीम लगाई थी. अपने बूथों को 3 कैटेगरी में बांट रखा है. सबसे मज़बूत को A कैटेगरी बनाया गया है. जिन बूथों पर पार्टी को कम वोट से बढ़त मिली थी, वो B कैटेगरी में हैं. BJP जिन बूथ पर हार गई थी, उसे C कैटेगरी में रखा गया है. इस बार BJP का फोकस B और C कैटेगरी पर है. 

Explainer: मिल्कीपुर में हिंदुत्व कार्ड चलेगा या अखिलेश का PDA, जानें सीट का पूरा गणित

सपा के लिए मिल्कीपुर प्रतिष्ठा का सवाल क्यों?
-मिल्कीपुर सीट अखिलेश यादव के लिए भी अहम है. वह खुद कह चुके हैं कि ये देश का चुनाव है. इस चुनाव से तय होगा कि यूपी का दलित अब किधर जाने वाला है. मायावती और उनकी बहुजन समाज पार्टी (BSP) लगातार कमजोर हो रही है. बीते लोकसभा चुनाव से ये नैरेटिव बना कि समाजवादी पार्टी की तरफ दलितों का झुकाव बढ़ा है.

-मिल्कीपुर चुनाव को लेकर अखिलेश यादव का मानना है कि इस चुनाव का रिजल्ट बड़ा मैसेज देकर जाएगा. इस चुनाव के बाद BJP का ये भ्रम टूट जाएगा कि कुछ लोग हमेशा उन्हीं को वोट देते हैं.

सपा ने की कैसी तैयारी?
-समाजवादी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती MY (मुस्लिम यादव) वोट बैंक को बचाए रखने की है. हाल ही में यूपी में विधानसभा की 9 सीटों पर उप चुनाव हुए. कुंदरकी में मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ दिया. जबकि करहल में यादव वोटों में बंटवारा हो गया था. ऐसे में अखिलेश यादव को लगता है कि अवधेश प्रसाद के कारण पासी वोटर उनकी तरफ रहेंगे. इसलिए उन्होंने अवधेश के बेटे को टिकट दिया है. 

-सपा PDA, ब्राह्मण वोट और BJP से नाराज वर्ग को अपने पक्ष में करके मिल्कीपुर उपचुनाव जीतना चाहती हैं. पार्टी इसी रणनीति पर काम कर रही है. 

मिल्कीपुर में किस समाज के कितने वोटर्स?
ब्राह्मण-गोसांई - 75,000
यादव- 55,000
पासी- 63,000
राजपूत-25,000
मुस्लिम- 30,000
चौरसिया- 26,000
ठाकुर- 22,000
कोरी- 20,000
रैदास- 19,000
वैश्य- 18,000
पाल- 7,000
मौर्य-6,000
अन्य-29,000

यूपी की सियासत में 'मिल्कीपुर'सीट से तय होगा भविष्य का गणित, बीजेपी-सपा दोनों के सामने है ये चुनौती

जातीय समीकरण
मिल्कीपुर में 1 लाख दलित वोटर्स का सपा और BSP में बंटना तय है. ठाकुर वोटर्स BJP के पक्ष में ही जाएंगे. जबकि पिछड़ी जातियों के वोटर्स भी बंटे हुए हैं. यानी वो BJP में भी जा सकते हैं और सपा के साथ भी हो सकते हैं. इस सीट पर दलितों के बाद सबसे ज्यादा संख्या ब्राह्मण मतदाताओं की है. ऐसे में ये वोटर्स जिसके साथ जाएंगे, उसकी जीत होगी.

जब फफक पड़े थे अवधेश प्रसाद
मिल्कीपुर का मामला तब गरमा गया, जब पिछले शनिवार को यहां एक दलित लड़की का निर्वस्त्र शव मिला था. इस पर भी राजनीति को हवा तब मिली जब प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अवधेश प्रसाद फफक पड़े. अवधेश प्रसाद ने कहा, "अगर पीड़िता को न्याय नहीं मिला तो मैं लोकसभा से इस्तीफा दे दूंगा. सांसद को भरी कॉन्फ्रेंस में इस तरह से रोते हुए देखकर सभी लोग हैरान रह गए." अब देखना है कि सपा और अवधेश प्रसाद के PDA कार्ड इस सीट पर चलेगा या नहीं.

मिल्कीपुर में BJP का प्रदर्शन?
बात करें मिल्कीपुर में BJP के प्रदर्शन की, तो BJP को यहां 1991 में जीत मिली थी. इसके बाद से BJP इस सीट से लगातार हारती रही है. 2017 में मोदी लहर में यह चुनाव BJP ने जीता था. समाजवादी पार्टी यहां 1996, 2002, 2012 और 2022 में जीत दर्ज कर चुकी है.

यूपी उपचुनाव : बुर्का, वोटिंग और बवाल, मिल्कीपुर में अखिलेश क्यों हैं लाल



from NDTV India - Pramukh khabrein https://ift.tt/0gqapfd

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages