वरिष्ठ समाजवादी नेता और जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का शनिवार को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. पूर्व केंद्रीय मंत्री का अंतिम संस्कार शाम करीब पांच बजे पुत्र शांतनु बुंदेला और पुत्री सुभाषिनी ने उनके पैतृक गांव अंखमऊ में किया.
यादव का बृहस्पतिवार को 75 साल की उम्र में गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था.
इससे पहले दिन में यादव का पार्थिव शरीर चार्टर्ड विमान से दिल्ली से भोपाल पहुंचा. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और अन्य ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की.
यादव के पार्थिव शरीर को भोपाल से सड़क मार्ग से लगभग 100 किलोमीटर दूर अंखमऊ ले जाया गया. दिग्विजय सिंह पार्थिव शरीर के साथ भोपाल हवाई अड्डे से अंखमऊ गांव गए.
दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि देने के लिए आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग अंखमऊ गांव पहुंचे.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान ने भोपाल हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यादव उनके पड़ोसी थे क्योंकि उनके गांव नर्मदा नदी के दोनों ओर स्थित थे.
चौहान ने कहा, ‘‘यादव जयप्रकाश आंदोलन के प्रमुख स्तंभ थे. वे बचपन से ही अन्याय के खिलाफ लड़ते रहे. विद्यार्थी जीवन में ही राष्ट्रीय आन्दोलन से जुड़ गए. उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति की दिशा बदल दी.''
दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करने अंखमऊ गांव पहुंचे केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने संवाददाताओं से कहा कि शरद यादव ने न केवल छात्र राजनीति का वैभव देखा है, बल्कि दलगत राजनीति में भी जबलपुर का मान बढ़ाया है.
उन्होंने कहा कि वैचारिक अंतर्विरोध हो सकते हैं लेकिन उनके साथ घनिष्ठता कभी कम नहीं हुई.
दिग्विजय सिंह और पटेल के अलावा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, नर्मदापुरम के सांसद राव उदय प्रताप सिंह और कई अन्य नेता अंतिम संस्कार के समय अंखमऊ में मौजूद थे.
जद (यू) मध्य प्रदेश इकाई के पूर्व प्रमुख और यादव के करीबी सहयोगी गोविंद यादव ने कहा कि एक छात्र नेता के रूप में शुरुआत करने के बाद, 1974 में मप्र में जबलपुर से लोकसभा उपचुनाव में शरद यादव की जीत कांग्रेस के खिलाफ विपक्षी उम्मीदवार के रूप में हुई थी. इससे उनकी राष्ट्रीय राजनीति में शुरुआत हुई.
उन्होंने कहा कि अपने लंबे राजनीतिक जीवन में शरद यादव सात बार लोकसभा सदस्य और चार बार राज्यसभा सदस्य रहे.
गोविंद यादव ने कहा कि जबलपुर के अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश के बदायूं और बिहार के मधेपुरा से भी लोकसभा चुनाव जीते, जो किसी भी राजनेता के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि थी.
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