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Thursday, January 2, 2025

दिल्ली की 'मंदिर' राजनीति : अब LG ने कहा- केजरीवाल ने 5 साल में 22 मंदिरों को गिराने की दी मंजूरी

दिल्ली में मंदिर गिराने की योजना को लेकर सियासत गरमा गई है. एलजी सचिवालय ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद मंदिरों को गिराने की सिफारिश की थी. इसके बाद दिल्ली बीजेपी ने केजरीवाल और सीएम आतिशी से माफी की मांग की है. इस मामले को लेकर दोनों प्रमुख दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है.

'केजरीवाल ने की थी मंदिरों को गिराने की सिफारिश'
एलजी सचिवालय ने दावा किया है कि उनके पास ऐसे दस्तावेज मौजूद हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 08 फरवरी 2023 को दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में 09 मंदिरों को गिराने की सिफारिश की थी. इसके साथ ही, केजरीवाल और तत्कालीन गृह मंत्री मनीष सिसोदिया ने इन मंदिरों को गिराने के लिए धार्मिक समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी थी. इन 09 मंदिरों में से 7 करावल नगर में स्थित थे, जबकि 2 मंदिर न्यू उस्मानपुर में थे.

इससे पहले 23 जून 2016 को भी तत्कालीन गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने दिल्ली के विभिन्न इलाकों में 8 मंदिरों को गिराने की मंजूरी दी थी. लजी ऑफिस से मिले जानकारी के अनुसार 22 मंदिरों सहित 24 हिंदू धार्मिक संरचनाओं और सिर्फ 01 मुस्लिम धार्मिक संरचना को केजरीवाल और उनके मंत्रियों द्वारा 2016 से 2023 तक ध्वस्त करने की मंजूरी दी गई थी.

हालांकि, 17 जुलाई 2017 को सत्येंद्र जैन ने 'धार्मिक भावनाओं और संवेदनशीलता' का हवाला देते हुए धार्मिक समिति की सिफारिशों को खारिज कर दिया था, जिसमें दो अज्ञात मजारों को ध्वस्त करने की बात की गई थी. यह मजारें फिल्मिस्तान सिनेमा से डीसीएम चौक तक ग्रेड सेपरेटर के निर्माण के लिए हटानी थीं, जिसे उत्तरी रेलवे द्वारा एमसीडी को भूमि हस्तांतरित की गई थी.

सस्ती राजनीति से बचना चाहिए : एलजी सचिवालय
एलजी सचिवालय ने कहा कि इन तथ्यों को देखते हुए जो लोग सचिवालय के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं, उन्हें अपने बयान वापस ले लेने चाहिए, माफी मांगनी चाहिए और सस्ती राजनीति से बचना चाहिए.

इससे पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने एलजी विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखा था. इस पत्र में कहा गया है कि एलजी साहब के आदेश पर मंदिरों और बौद्ध धार्मिक स्थलों को तोड़ने के निर्देश दिए गए हैं. दिल्ली में कोई भी मंदिर या धार्मिक स्थल नहीं तोड़ा जाए. 
 



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