राज्यसभा (Rajya Sabha) ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव से जुड़ा मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 मंगलवार को पारित कर दिया. विपक्षी दलों ने बिल के प्रारूप का विरोध करते हुए सदन से वाकआउट किया. करीब चार घंटे तक चली चर्चा के बाद राज्यसभा ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और टर्म्स ऑफ ऑफिस में बदलाव से जुड़ा बिल बिल ध्वनिमत से पारित कर दिया.
बिल में प्रावधान है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक हाई-लेवल चयन कमेटी करेगी. इसमें प्रधानमंत्री के अलावा एक कैबिनेट मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता सदस्य होंगे. इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने चयन समिति में प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और CJI को रखने की बात कही थी. मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की सैलरी और दर्जा सुप्रीम कोर्ट जज के बराबर होगा. कानून मंत्री की अध्यक्षता में एक सर्च कमिटी बनेगी, जो चयन समिति के समक्ष पांच संभावित नाम मनोनीत करेगी.
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल पेश करते हुए कहा, "इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के प्रोटेक्शन के लिए विशेष प्रावधान है. हमने एक नई धारा धारा 15 (A) भी जोड़ी है. बिल में जिसके तहत कोई भी मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त अपनी ड्यूटी के दौरान अगर कोई कार्रवाई संपादित करते हैं तो उनके खिलाफ कोर्ट में कोई भी कार्रवाई नहीं हो सकती है."
1991 में जो कानून बना था, उसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का कोई क्लॉज नहीं था. करीब चार घंटे तक चली चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि इस बिल के पारित होने से लोकतंत्र कमजोर होगा और बिल पारित करने के दौरान सदन से वाकआउट किया.
कांग्रेस ने बिल पर उठाए सवाल
कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चार शब्द चुनाव आयोग के लिए बेहद महत्वपूर्ण है: निष्पक्षता, निर्भीकता, स्वायत्तता और शुचिता...जो कानून सरकार लेकर आई है, वह इन चार शब्दों को बुलडोजर के नीचे कुचल देता है"
विपक्ष एकजुट होकर कानूनी तौर पर दे चुनौती : चड्ढा
आगे की रणनीति और कानूनी विकल्पों को लेकर आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हम आपस में चर्चा करेंगे और कानूनी राय लेंगे. कोशिश होगी की विपक्ष एकजुट होकर कानूनी तौर पर इसे चुनौती दे. आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले को इस तरह नहीं पलट सकते. सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के सवाल पर राघव चड्ढा ने कहा कि हम इसे जरूर चुनौती दे सकते हैं, इसका वही हश्र होगा जो दिल्ली सेवा बिल का हुआ था.
बिल को लोकसभा में पेश करने की तैयारी
राज्यसभा में ये बिल पारित कराने के बाद सरकार अब इसे लोकसभा में पेश करने की तैयारी कर रही है. हालांकि विपक्ष के रुख से साफ है कि बिल के प्रारूप पर कानूनी बहस जल्द खत्म नहीं होने वाली है.
ये भी पढ़ें :
* "2024 में BJP सरकार के दोबारा सत्ता में आने की काफी संभावना" : US रेटिंग एजेंसी फिच
* Parliament Winter Session: राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने पेश किया जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन-संशोधन विधेयक
* "मोदी सरकार ने पत्थरबाजों के हाथों में दिए लैपटॉप..." : J&K से जुड़े बिल पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह
from NDTV India - Pramukh khabrein https://ift.tt/wArGueb
No comments:
Post a Comment