भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने क्षेत्र में चीन की सैन्य आक्रामकता के परोक्ष संदर्भ में बुधवार को कहा कि दक्षिण चीन सागर में नाजुक सुरक्षा स्थिति स्थापित सिद्धांत के उल्लंघन के अलावा समुद्र में ‘‘अच्छी व्यवस्था'' और ‘‘अनुशासन'' के लिए स्पष्ट खतरा पैदा करती है.
हाइड्रोकार्बन के विशाल स्रोत दक्षिण चीन सागर पर संप्रभुता के चीन के व्यापक दावों को लेकर वैश्विक चिंताएं बढ़ रही हैं. वियतनाम, फिलीपीन और ब्रुनेई सहित क्षेत्र के कई देशों ने इस बाबत आपत्तियां जताईं हैं.
वह हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद (आईपीआरडी) को संबोधित रहे थे। आईपीआरडी भारतीय नौसेना का एक शीर्ष-स्तरीय वार्षिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में ‘‘समग्र'' समुद्री सुरक्षा मुद्दों को संबोधित करना है.
आसियान देश दक्षिण चीन सागर के मद्देनजर एक बाध्यकारी आचार संहिता (सीओसी) पर जोर दे रहे हैं. वर्ष 2016 के दौरान एक फैसले में, हेग में मध्यस्थता अदालत ने दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर बीजिंग के दावे को खारिज कर दिया था. हालांकि, चीन ने फैसले को मानने से इनकार कर दिया.
वहीं, सेना प्रमुख जनरल अनिल चौहान ने हिंद-प्रशांत के ऐतिहासिक और साथ ही समकालीन महत्व पर प्रकाश डाला और क्षेत्र के लिए भारत के दृष्टिकोण और परिप्रेक्ष्य का जिक्र किया.
एडमिरल कुमार ने भी हिंद-प्रशांत के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया और वैश्विक व्यापार, भू-राजनीति के लिए इसके महत्व का उल्लेख किया. साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती सैन्य तैनाती का भी जिक्र किया.
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